....जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय
मुरैना। 16वीं सदी के एक महान कवि ने अपने दोहे में जो बात कही वह आज के युग में जगह-जगह देखने को मिलती है। मामला किसी पर आरोप या प्रत्यारोप का हो या वर्तमान में हो रही मिलावट का। प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे पर आरोप लगाता ही नजर आयेगा। ऐसी दशा में उस महान कवि का यह दोहा वर्तमान परिवेश पर चरितार्थ होता है। जिसमें उन्होंने कहा था कि बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। यह दोहा आखिर क्यो प्रयोग हुआ, इसके पीछे भी एक तथ्य है। एक ओर तो मध्यप्रदेश शासन खाद्य सामग्रियों में मिलावट के प्रति निरंतर कार्यवाहियां व मामले दर्ज कराने की बात कर रहा है, वहीं दूसरी ओर शासन द्वारा ही संचालित मुरैना जिले के इण्डस्ट्रियल क्षेत्र में सांची दुग्ध संघ जिले भर का मिलावटी दूध सप्लाई हो रहा है और जिला प्रशासन अंचल के छोटे-छोटे दुग्ध व्यवसायियों पर कार्यवाही कर रहा है।
सूत्रों की माने तो सांची दुग्ध संघ जिस पर सरकार का ठप्पा लगा है और इस इण्डस्ट्री का चैयरमेन संबंधित जिले का कलेक्टर होता है। अब गौर करने वाली बात यह है कि इस इण्डस्ट्रीज में जमकर मिलावटी दुग्ध की सप्लाई ली जा रही है और प्रशासन का कोई भी अधिकारी इस इण्डस्ट्रीज पर सैंपलिंग की कार्यवाही नहीं कर सकता है, जिस बजह से यहां जमकर भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है। यह भी मानना बेबुनियाद होगा कि इण्डस्ट्रीज के चैयरमेन कलेक्टर को इस बात का भान नहीं होगा कि सांची दुग्ध संघ के अंदर मिलावटी दुग्ध सप्लाई होता है, क्योकि जिले भर में संचालित दुग्ध डेयरियों पर कार्यवाही के दौरान अनेकों दुग्ध व्यवसायी इस बात को कहते है कि हमारा दुग्ध आप मिलावटी कैसे साबित कर सकते हो क्योकि हमारा दूध सांची दुग्ध संघ बानमोर में सप्लाई होता है। ऐसी दशा में प्रशासन की कार्यवाही भी संदिग्धता के दायरे में आती है। यह कहां का न्याय है कि यदि कोई शासकीय संगठन दूध की सप्लाई लेता है तो वह कुछ भी मनमानी करे, प्रशासन उस पर कार्यवाही नहीं करता है क्योकि उस संगठन का मालिक जिला का आला अधिकारी होता है। वहीं दूसरी ओर ऐसे ही दुग्ध संघ के दबाव के चलते क्षेत्रीय दुग्ध व्यवसायी मिलावट युक्त दुग्ध बेचता तो उस कार्यवाही का ठीकरा फूटता है। सूत्र तो यहां तक बताते है कि बानमोर स्थित सांची दुग्ध संघ में जिस एजेंसी के द्वारा दुग्ध सप्लाई ली जाती है वह स्वयं अंचल के दुग्ध व्यवसायियों से मिलावटी दुग्ध की डिमांड रखता है, क्योकि उसे सांची दुग्ध संघ के अनेकों अधिकारियों की समय-समय पर भेंट-पूजा करनी होती है।
:
-नोवा व सांची लेते हैं मिलावटी दुग्ध
मप्र सरकार द्वारा संचालित सांची दुग्ध संघ एवं देश की जानी मानी दुग्ध इण्स्ट्रीज नोवा द्वारा अंचल भर के अनेकों मिलावटखोर दुग्ध व्यवसायियों का दुग्ध लिया जाना उनके व्यापार को बढावा दे रहा है। यदि जानी-मानी दुग्ध इण्डस्ट्रीज ही जहरीला दूध खरीदने का कारोबार करेगी तो जनता किस पर यकीन करे। क्योकि सरकार के अधीन चलने वाला सांची दुग्ध संघ अंचल के अनेकों दुग्ध व्यवसायियों का दूध खरीदता है जो सरेआम मिलावट करता है। यदि इसे सिद्ध करना है तो आगरा की ओर हाईवे पर हेतमपुर क्षेत्र में दो ऐसे दुग्ध व्यवसायी है जो सरेआम सिंथेटिक दूध का निर्माण कर सांची दुग्ध संघ में वर्षो से दुग्ध सप्लाई करते आ रहे हैं और इनका दुग्ध लोडिंग वाहन में लोड होकर विधिवत सांची दुग्ध संघ में नियमित पहुंचता है। इसी प्रकार नोवा की बात की जाए तो जिले भर के जिन दुग्ध व्यवसायियों का कोई भी दुग्ध इण्डस्ट्रीज दूध नहीं खरीदती है उसे नोवा खरीदता है। सूत्र तो यहां तक बताते है कि जिस प्रकार सांची दुग्ध संघ के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की बजह से मिलावटी दूध इण्डस्ट्री में सप्लाई हो रहा है उसी तरह नोवा इण्डस्ट्री में अधिकारी व उच्च स्तरीय राजनेताओं की शह पर सरेआम मिलावटी दूध का कारोबार हो रहा है।
-शुद्ध के लिये युद्ध आंदोलन ने पकड़ी गति
इन दिनों सोशल मीडिया पर शुद्ध के लिये युद्ध आंदोलन तीव्र गति पकड़ रहा है। हालांकि इस आंदोलन को मिलावट माफियाओं द्वारा दबाने की बहुतायत कोशिश की जा रही है, किन्तु जनता की नब्ज बना यह आंदोलन उतना ही तेजी से गति पकड़ रहा है। चंद लोगों द्वारा इस आंदोलन की शुरूआत मिलावट को रोकने के लिये की गयी। प्रदेश सरकार भी यही चाहती है कि प्रदेश भर से मिलावटी कारोबार पूर्ण रूप से बंद हो। विगत दिवस ग्वालियर में नवीन लैव की स्थापना के लिये प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट व कांग्रेस के पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर में नवीन मिलावट टेस्टिंग लैव की स्थापना के अवसर पर शुद्ध के लिये युद्ध को आवश्यक बताते हुये चंबल संभाग भर से मिलावटी कलंक को मिटाने की बात कही थी। वहीं जिले के कुछ समाजसेवी, पत्रकारों की पहल पर शुद्ध के लिये युद्ध आंदोलन का शीघ्र ही आगाज होने जा रहा है। यह आंदोलन जल्द ही सोशल मीडिया से निकलकर धरातल पर आयोजित होगा। इस आंदोलन की आहट मात्र से ही अंचल भर के मिलावट के कारोबारियों में दहशत व्याप्त हो गयी है।-कलेक्टर रिसीव नहीं करती कॉल
जब से मुरैना में श्रीमती प्रियंका दास ने पदभार ग्रहण किया है तब से एक बड़ी व चिंतनीय समस्या उत्पन्न हो गयी है कि किसी भी महत्वपूर्ण व जनहित से जुड़े मुद्दे पर बात करने के लिये कलेक्टर महोदया को फोन करें तो वह भाग्यशाली व्यक्ति होता है जिसका कॉल रिसीव हो जाए। क्योकि कलेक्टर महोदय को फोन रिसीव न करने की बड़ी बीमारी है। उक्त खबर के लिये भी बुधवार को कलेक्टर को मोबाइल नम्बर 6263806243 पर दोपहर 3:37, 4:25, 4:26, 4:45 बजे कॉल कर उनका पक्ष जानना चाहा किन्तु हर बार की तरह इस बार भी मेडम का पक्ष प्राप्त न हो सका।
-इनका कहना है......
-ग्रामीण क्षेत्रों में बीएलसी सबसे पहले हमारी कंपनी ने ही बनाये है, वर्तमान समय में लगभग 380 गांवों में हमारे सेंटर है। लगभग महीने-दो महीने में हमारे यहां सैंपलिंग की कार्यवाही होती है। हमारे यहां स्वयं की लैव है। हम पूरी गुणवत्ता वाला दूध ही लेते हैं।
मनोज कुमार, इंचार्ज नोवा चिलिंग सेंटर मुरैना
-प्रथम तो अनेकों शिकायतों के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी अवनीश गुप्ता को मैने सख्त हिदायत दी है कि वह यारी-दोस्ती निभाना बंद करे अन्यथा नोकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। रही बात सांची दुग्ध संघ बानमोर की तो उनके पास अपनी लैव है, मुझे नहीं लगता वहां पर बिना टेस्टिंग के दूध लिया जाता हो, फिर भी यह बच्चों सहित सभी के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मामला है। मैं शीघ्र ही दुग्ध संघ जाकर सख्त हिदायत देती हॅंू और गलतियां पाये जाने पर कार्यवाही भी होगी।
श्रीमती रेनू तिवारी, आयुक्त चंबल संभाग
फोटो फाइल- 23 मुरैना 01, 02, 03
शुद्ध के लिये युद्ध